PM आवास योजना ठगी: फ्रॉड से बचें, पूरी जानकारी।

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PM आवास योजना ठगी: फ्रॉड से बचें, पूरी जानकारी।

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है जिसका लक्ष्य देश के हर पात्र नागरिक को अपना पक्का घर देना है। यह योजना लाखों परि

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प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है जिसका लक्ष्य देश के हर पात्र नागरिक को अपना पक्का घर देना है। यह योजना लाखों परिवारों के लिए एक वरदान साबित हुई है, लेकिन इसकी सफलता ने जालसाजों को भी आकर्षित किया है। ये जालसाज भोले-भाले लोगों को निशाना बनाकर इस योजना के नाम पर धोखाधड़ी कर रहे हैं। इस लेख में, हम प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर हो रही धोखाधड़ी के विभिन्न तरीकों का विश्लेषण करेंगे, उनसे बचने के आवश्यक उपाय जानेंगे और धोखाधड़ी होने पर सही शिकायत प्रक्रिया के बारे में विस्तार से समझेंगे। यह जानकारी हर नागरिक को जागरूक और सुरक्षित रहने में मदद करेगी।

पीएम आवास योजना के नाम पर हो रही धोखाधड़ी के मुख्य तरीके

प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़ी धोखाधड़ी केवल एक प्रकार की नहीं है, बल्कि यह कई रूपों में सामने आ रही है। जालसाज व्यक्तिगत स्तर से लेकर संगठित गिरोहों तक के माध्यम से आम नागरिकों और यहाँ तक कि सरकारी तंत्र को भी धोखा देने का प्रयास कर रहे हैं। इन तरीकों को समझना खुद को बचाने के लिए पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है।

फर्जी कॉल, SMS और ऑनलाइन फ्रॉड

धोखाधड़ी का सबसे आम तरीका फर्जी कॉल और डिजिटल माध्यमों का उपयोग करना है। जालसाज खुद को सरकारी अधिकारी, बैंककर्मी या “आवास मित्र” बताकर लोगों को फोन करते हैं और उन्हें योजना का लाभ दिलाने का झांसा देते हैं। हाल ही में बेमेतरा जिले में, साइबर ठगों ने बेरोजगार युवाओं को “आवास मित्र” की नौकरी का लालच दिया और नौकरी पक्की कराने के नाम पर उनसे 30,000 से 50,000 रुपये तक की मांग की । इसी तरह, ठग लोगों को फोन करके फार्म भरने के लिए मामूली शुल्क (जैसे ₹450) और फिर पहली किस्त (जैसे ₹13,000) जमा करने के लिए कहते हैं । एक बार पैसा मिलने के बाद, वे और बड़ी राशि की मांग करते हैं या संपर्क तोड़ लेते हैं।  

इस तरह की धोखाधड़ी में अक्सर ओटीपी (One Time Password) या बैंक खाते की गोपनीय जानकारी मांगी जाती है । यह एक सामान्य तरीका है, जिसमें जालसाज पीड़ित से कहते हैं कि योजना का पैसा सीधे उनके खाते में ट्रांसफर हो जाएगा, जिसके लिए उन्हें ओटीपी साझा करना होगा।  

इसके अलावा, फर्जी वेबसाइटों का उपयोग भी एक प्रमुख तरीका है। ये वेबसाइटें अक्सर आधिकारिक पोर्टल जैसे pmaymis.gov.in या pmayg.nic.in के नाम से मिलती-जुलती होती हैं । इनका उद्देश्य लोगों से ऑनलाइन आवेदन शुल्क वसूलना या उनकी निजी जानकारी चुराना होता है। एक जागरूक नागरिक के लिए असली और नकली वेबसाइट के बीच का अंतर पहचानना आवश्यक है।  

जाली दस्तावेज़ों से ठगी: फर्जी आवंटन पत्र और सरकारी कर्मचारी

डिजिटल फ्रॉड के अलावा, संगठित गिरोह जाली दस्तावेज़ों के माध्यम से भी ठगी करते हैं। ऐसे मामलों में, जालसाज खुद को सरकारी विभागों का कर्मचारी या अधिकारी बताते हैं। लखनऊ में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया था जहाँ एक व्यक्ति ने खुद को लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) का प्रशासनिक अधिकारी बताकर 18 लोगों से लाखों की धोखाधड़ी की। उसने उनसे रुपये लेकर प्रधानमंत्री आवास योजना के जाली आवंटन प्रमाण पत्र और रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज़ थमा दिए । पीड़ितों ने कुल 9,90,000 रुपये यूपीआई के जरिए जमा किए, लेकिन उन्हें न तो कोई एग्रीमेंट मिला और न ही घर पर कब्जा ।  

इसी तरह का एक और मामला इंदौर में सामने आया, जहाँ एक शातिर ठग ने खुद को एक कंपनी का डायरेक्टर बताकर लोगों को सस्ते फ्लैट दिलाने का झांसा दिया और 15 से 20 लोगों से 82 लाख रुपये की ठगी कर ली । ये मामले बताते हैं कि जालसाज केवल फर्जी कॉल पर निर्भर नहीं रहते, बल्कि वे व्यक्तिगत रूप से मिलकर और नकली कंपनियों का हवाला देकर लोगों का भरोसा जीतते हैं।  

सिस्टम का दुरुपयोग: अपात्र लाभार्थियों को लाभ और फंड की हेराफेरी

कुछ मामलों में, धोखाधड़ी व्यक्तिगत स्तर से बढ़कर सिस्टम के दुरुपयोग तक पहुँच जाती है, जहाँ सरकारी अधिकारी भी इसमें शामिल होते हैं। ओडिशा में, सर्वे करने वाले कर्मचारियों और लाभार्थियों के बीच मिलीभगत के मामले सामने आए, जहाँ जियो-टैगिंग डेटा के साथ छेड़छाड़ की गई । जियो-टैगिंग के तहत, निर्माण के प्रत्येक चरण (नींव, प्लिंथ, छत आदि) की तस्वीरें पोर्टल पर अपलोड की जाती हैं। जालसाजों ने अधूरे बने घरों को पूरा दिखाकर भुगतान प्राप्त किया, जिससे कई योग्य लाभार्थियों को योजना का लाभ नहीं मिल पाया ।  

प्रयागराज में तो इस तरह का एक बड़ा मामला उजागर हुआ, जहाँ 9,000 से अधिक अपात्र लोगों ने फर्जी दस्तावेज़ जमा करके ₹1.2 लाख की सरकारी सब्सिडी प्राप्त कर ली । इनमें से कई लोगों के पास पहले से ही पक्के मकान थे, यहाँ तक कि कुछ के पास दो मंजिला घर भी थे। इसी तरह, मध्य प्रदेश में मृत व्यक्तियों के नाम पर भी आवास आवंटित करने और फंड निकालने की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ ।  

धोखाधड़ी का सबसे बड़ा स्तर संस्थागत धोखाधड़ी में देखा गया, जहाँ एक वित्तीय संस्थान ने खुद सरकार को धोखा दिया। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक मामले में खुलासा किया कि एक हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के प्रमोटरों ने 2.6 लाख फर्जी होम लोन अकाउंट बनाए और सरकार से क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के रूप में ₹1,880 करोड़ की धोखाधड़ी की । ये मामले दर्शाते हैं कि पीएम आवास योजना में धोखाधड़ी का दायरा काफी व्यापक है, जो निचले स्तर से लेकर उच्च स्तर तक फैला हुआ है।  

ठगी से बचने के 10 सबसे ज़रूरी उपाय: एक क्विक चेकलिस्ट

प्रधानमंत्री आवास योजना में धोखाधड़ी से बचने का सबसे प्रभावी तरीका जागरूक रहना और सही जानकारी पर भरोसा करना है। यहाँ 10 सबसे ज़रूरी उपाय दिए गए हैं जो आपको सुरक्षित रहने में मदद करेंगे।

  1. किसी भी कॉल, SMS या ईमेल पर भरोसा न करें: सरकार या कोई भी आधिकारिक विभाग कभी भी फोन या ईमेल पर आपकी व्यक्तिगत जानकारी, बैंक खाते के विवरण या ओटीपी की मांग नहीं करता है। ऐसे किसी भी अनुरोध को तुरंत खारिज कर दें ।  
  2. पैसा देने से बचें: आवेदन या पात्रता के सत्यापन के लिए किसी भी व्यक्ति को नकद या ऑनलाइन भुगतान बिल्कुल न करें। योजना के तहत केवल कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर ही एक मामूली शुल्क (₹25 + GST) देना होता है ।  
  3. केवल आधिकारिक वेबसाइट ही इस्तेमाल करें: किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले URL (वेबसाइट का पता) ध्यान से जांच लें। प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी की आधिकारिक वेबसाइट pmay-urban.gov.in है, जबकि ग्रामीण योजना की वेबसाइट pmayg.nic.in है । किसी भी अन्य मिलती-जुलती वेबसाइट पर भरोसा न करें।  
  4. पात्रता खुद जांचें: आवेदन करने से पहले अपनी पात्रता की शर्तों को अच्छी तरह समझ लें। आपके पास या आपके परिवार के किसी भी सदस्य के पास भारत में कोई पक्का मकान नहीं होना चाहिए, और आपकी वार्षिक आय ₹18 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए ।  
  5. आवेदन की स्थिति खुद ट्रैक करें: किसी भी व्यक्ति के भरोसे न रहें। आप आधिकारिक पोर्टल पर अपना आवेदन आईडी या आधार नंबर डालकर अपने आवेदन की स्थिति खुद चेक कर सकते हैं ।  
  6. पंजीकृत मोबाइल नंबर ही इस्तेमाल करें: योजना से संबंधित सभी आधिकारिक संदेश और अपडेट आपके आवेदन में दिए गए मोबाइल नंबर पर ही आते हैं। किसी अनजान नंबर से आने वाले ओटीपी या लिंक को साझा न करें।
  7. अधिकारी का आईडी कार्ड मांगें: यदि कोई व्यक्ति खुद को सरकारी कर्मचारी बताता है, तो उसका आईडी कार्ड और पदनाम ज़रूर देखें। यदि वह पैसे मांगता है या कोई अनुचित व्यवहार करता है, तो तुरंत सतर्क हो जाएं ।  
  8. फर्जी सरकारी कर्मचारी को तुरंत रिपोर्ट करें: यदि कोई अधिकारी बनकर पैसे मांगता है, तो तत्काल इसकी शिकायत जिला कार्यालय में करें।
  9. योजना की जानकारी खुद लें: नजदीकी सरकारी कार्यालय, जैसे कि जिला पंचायत या प्रखंड विकास अधिकारी (BDO) के ऑफिस से सीधे योजना के बारे में जानकारी लें ।  
  10. दस्तावेज़ों की फोटोकॉपी ही दें: आवेदन के लिए केवल मांगे गए दस्तावेज़ों की फोटोकॉपी ही जमा करें, मूल दस्तावेज़ कभी न दें।

पीएम आवास योजना: सही आवेदन प्रक्रिया और पात्रता की पूरी जानकारी

धोखाधड़ी से खुद को बचाने का एक और महत्वपूर्ण तरीका योजना की सही प्रक्रिया को समझना है। जब आप जानते हैं कि असली प्रक्रिया कैसी होती है, तो नकली को पहचानना आसान हो जाता है।

पात्रता के मानदंड: आप इस योजना के योग्य हैं या नहीं?

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पात्रता का निर्धारण कुछ मुख्य मानदंडों पर आधारित है :  

  • आय समूह: आवेदक को आय के अनुसार चार श्रेणियों में से एक में आना चाहिए:
    • EWS (Economically Weaker Section): ₹3 लाख तक की वार्षिक घरेलू आय।
    • LIG (Low Income Group): ₹3 लाख से ₹6 लाख तक की वार्षिक घरेलू आय।
    • MIG-I (Middle Income Group-I): ₹6 लाख से ₹12 लाख तक की वार्षिक घरेलू आय।
    • MIG-II (Middle Income Group-II): ₹12 लाख से ₹18 लाख तक की वार्षिक घरेलू आय।
  • पक्के मकान का प्रतिबंध: आवेदक या परिवार के किसी भी सदस्य के पास भारत में कहीं भी कोई पक्का मकान (ठोस संरचना) नहीं होना चाहिए।
  • सरकारी सहायता का लाभ: परिवार ने पहले किसी भी केंद्रीय या राज्य सरकार की आवास योजना के तहत कोई वित्तीय सहायता नहीं ली होनी चाहिए।
  • महिला स्वामित्व: EWS और LIG श्रेणी के घरों का स्वामित्व परिवार की महिला मुखिया के नाम पर या पति-पत्नी के संयुक्त नाम पर होना अनिवार्य है।

आवेदन कैसे करें: ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रक्रिया

आवेदन करने के दो मुख्य तरीके हैं:

  • ऑनलाइन आवेदन: आप आधिकारिक वेबसाइट pmaymis.gov.in पर जाकर “Citizen Assessment” सेक्शन के तहत ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं । हालांकि, कुछ स्रोतों के अनुसार यह सुविधा फिलहाल बंद है, इसलिए आवेदन से पहले आधिकारिक वेबसाइट पर इसकी पुष्टि करना आवश्यक है। ऑनलाइन आवेदन करते समय आपको अपना आधार नंबर, श्रेणी और अन्य व्यक्तिगत जानकारी भरनी होती है।  
  • ऑफलाइन आवेदन: संबंधित राज्य सरकार द्वारा स्थापित कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर जाकर ₹25 + GST का शुल्क देकर फॉर्म भरा जा सकता है । इस प्रक्रिया में आपको आवश्यक दस्तावेज़ों की हार्ड कॉपी जमा करनी होती है।  

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज़ों में आधार कार्ड, पहचान और निवास प्रमाण, आय प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक और यदि लागू हो तो जाति प्रमाण पत्र शामिल हैं ।  

नीचे दी गई तालिका में, असली और नकली प्रक्रियाओं के बीच के महत्वपूर्ण अंतरों को संक्षेप में समझाया गया है:

पहचान का आधारअसली / आधिकारिक प्रक्रियानकली / धोखाधड़ी का तरीका
वेबसाइटURL हमेशा gov.in पर समाप्त होता है। जैसे pmaymis.gov.inURL मिलते-जुलते नामों जैसे gov.net, .org या .com के साथ होते हैं।
संपर्कसरकार केवल SMS या ईमेल के माध्यम से आधिकारिक जानकारी देती है।अनजान नंबरों से कॉल, SMS या व्हाट्सएप संदेश।
पैसों की मांगआधिकारिक शुल्क केवल CSC पर ₹25+GST है। सरकार सीधे पैसे नहीं मांगती।प्रोसेसिंग फीस, किस्त, या रिश्वत के नाम पर पैसों की मांग।
दस्तावेज़केवल फोटोकॉपी या डिजिटल कॉपी मांगी जाती है।मूल दस्तावेज़ों की मांग या दस्तावेज़ लेने के लिए घर पर आना।
अधिकारी का परिचयआधिकारिक कर्मचारियों के पास पहचान पत्र होता है। वे सीधे आपसे पैसे नहीं मांगते।खुद को सरकारी अधिकारी बताकर पैसे मांगते हैं, आईडी कार्ड दिखाने से बचते हैं।
प्रक्रिया की पारदर्शितालाभार्थी सूची ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध होती है और आवेदन की स्थिति ट्रैक की जा सकती है।प्रक्रिया को गुप्त रखा जाता है और किसी भी जानकारी को साझा करने से बचा जाता है।

धोखाधड़ी की शिकायत कहाँ और कैसे करें?

यदि आप प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो सही समय पर सही जगह शिकायत करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस तरह के मामलों में दो अलग-अलग प्रकार की शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं: योजना-संबंधी शिकायतें और आपराधिक/वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायतें।

पीएम आवास योजना के आधिकारिक शिकायत चैनल

यदि आपकी शिकायत योजना की प्रक्रिया, पात्रता या किसी कर्मचारी के अनुचित व्यवहार से संबंधित है, तो आप इन चैनलों का उपयोग कर सकते हैं:

  • स्थानीय स्तर: आप अपनी शिकायत ग्राम पंचायत, ब्लॉक या जिला स्तर पर दर्ज कर सकते हैं। यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि शिकायतों का समाधान स्थानीय स्तर पर ही हो ।  
  • अधिकारी: आप सीधे स्थानीय आवास सहायक, प्रखंड विकास अधिकारी (BDO), जिला परियोजना अधिकारी या जिलाधिकारी कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं । जिला परियोजना अधिकारी ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि कोई कर्मचारी पैसे मांगता है तो उसकी शिकायत करें, ऐसे लोगों पर एफआईआर दर्ज की जाएगी ।  
  • ऑनलाइन शिकायत पोर्टल: आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) का एक ऑनलाइन शिकायत पंजीकरण पोर्टल है जहाँ आप अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसका लिंक pmay-urban.gov.in/pgrams/login है । ग्रामीण आवास योजना से जुड़ी शिकायतों के लिए CPGRAMS (Centralized Public Grievance Redress and Monitoring System) पोर्टल का उपयोग किया जाता है ।  
  • हेल्पलाइन नंबर:
    • PMAY-G टोल फ्री नंबर: 1800-11-6446 ।  
    • PMAY-U टोल फ्री नंबर: 1800-11-3377, 1800-11-3388 ।  
    • MoHUA लैंडलाइन नंबर: 011-23060484, 011-23063620 ।  

साइबर फ्रॉड की ऑनलाइन शिकायत करने का तरीका

वित्तीय धोखाधड़ी या साइबर अपराध के मामले में, तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक है। इस तरह के मामलों की शिकायत पीएम आवास योजना के अधिकारियों के साथ-साथ पुलिस में भी करनी चाहिए।

  • हेल्पलाइन: यदि आपके साथ तुरंत वित्तीय धोखाधड़ी हुई है, तो बिना देर किए राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें । यह नंबर आपकी शिकायत को ट्रैक करने और तुरंत कार्रवाई करने में मदद करता है।  
  • ऑनलाइन पोर्टल: भारत सरकार का नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल cybercrime.gov.in वित्तीय धोखाधड़ी सहित सभी प्रकार के साइबर अपराधों की शिकायत दर्ज करने के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम है ।  
  • शिकायत प्रक्रिया: पोर्टल पर “File a Complaint” बटन पर क्लिक करें, अपराध का विवरण, संदिग्ध की जानकारी (यदि उपलब्ध हो) और सहायक सबूत जैसे स्क्रीनशॉट या ऑडियो रिकॉर्डिंग अपलोड करें । शिकायत दर्ज करने के बाद, आपको एक एकनॉलेजमेंट नंबर प्राप्त होगा। आपकी शिकायत को संबंधित पुलिस स्टेशन में जांच के लिए भेज दिया जाएगा ।  

यहां एक त्वरित संदर्भ के लिए तालिका दी गई है कि धोखाधड़ी के प्रकार के आधार पर कहाँ शिकायत करनी चाहिए:

शिकायत का प्रकारशिकायत कहाँ करेंसंपर्क / पोर्टल
पैसे का लेन-देन / तुरंत फ्रॉडपुलिस साइबर क्राइम सेलहेल्पलाइन: 1930, पोर्टल: cybercrime.gov.in
फर्जी अधिकारी / दस्तावेज़स्थानीय PM-Awas अधिकारी, पुलिसजिलाधिकारी कार्यालय, BDO, ऑनलाइन पोर्टल pmay-urban.gov.in
सामान्य शिकायत / प्रक्रिया की जानकारीPMAY शिकायत निवारण प्रणालीग्राम पंचायत, ब्लॉक, जिला कार्यालय, हेल्पलाइन नंबर
सिस्टमैटिक फ्रॉडCPGRAMS, MoRDMoHUA/MoRD के शिकायत पोर्टल

प्रधानमंत्री आवास योजना भारत के गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए एक सुनहरे भविष्य का वादा है। सरकार ने इस योजना में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जियो-टैगिंग, एआई/एमएल मॉडल जैसे कई तकनीकी उपाय किए हैं । इसके बावजूद, जालसाज नए-नए तरीकों से लोगों को ठगने का प्रयास कर रहे हैं। इस लेख में दी गई जानकारी से यह स्पष्ट है कि धोखाधड़ी का मुकाबला करने का सबसे प्रभावी तरीका व्यक्तिगत सतर्कता और जागरूकता है। किसी भी अनजान व्यक्ति के बहकावे में न आएं, पैसे देने से बचें और हमेशा आधिकारिक स्रोतों पर ही भरोसा करें। अपने सपनों का घर पाने की राह में, किसी भी जालसाज के बहकावे में न आएं। सतर्क रहें, सही जानकारी के लिए हमेशा आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें, और किसी भी धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने में संकोच न करें। आपकी सतर्कता ही आपकी सुरक्षा है।

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