PM Vishwakarma Yojana: किसे मिलेगा फायदा, कैसे करें आवेदन? जानें योजना की पूरी जानकारी!

भारत सरकार ने 17 सितंबर 2023 को पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाने के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना शुरू की है. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) के तहत यह केंद्रीय योजना, कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें आर्थिक विकास से जोड़ने का लक्ष्य रखती है. यह योजना पहचान, कौशल विकास, आधुनिक उपकरण, आसान ऋण, डिजिटल लेनदेन प्रोत्साहन और विपणन सहायता प्रदान करती है.  

पीएम विश्वकर्मा योजना क्या है?

पीएम विश्वकर्मा योजना 17 सितंबर, 2023 को लॉन्च की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसे MSME मंत्रालय द्वारा संचालित किया जाता है. इसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को समग्र सहायता प्रदान करना है. यह योजना 2027-28 तक पांच साल के लिए लागू की जाएगी, जिसमें ₹13,000 करोड़ का कुल परिव्यय है और इसका लक्ष्य 30 लाख लाभार्थियों तक पहुंचना है.  

यह योजना 18 पारंपरिक व्यवसायों से जुड़े कारीगरों और शिल्पकारों को लक्षित करती है, जिनमें बढ़ई, लोहार, सुनार, कुम्हार, मोची, दर्जी, नाई, धोबी आदि शामिल हैं.  

पीएम विश्वकर्मा योजना के लिए कौन कर सकता है आवेदन?

पीएम विश्वकर्मा योजना के लिए आवेदन करने हेतु निम्नलिखित पात्रता मानदंड पूरे करने होंगे:

  • आयु: आवेदक की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए.  
  • व्यवसाय: आवेदक को 18 पारंपरिक व्यवसायों में से किसी एक में हाथ और औजारों से काम करने वाला कारीगर या शिल्पकार होना चाहिए, जो असंगठित क्षेत्र में स्वरोजगार के आधार पर काम करता हो.  
  • सरकारी कर्मचारी नहीं: आवेदक या उसके परिवार का कोई सदस्य सरकारी सेवा में नहीं होना चाहिए.  
  • परिवार की सीमा: एक परिवार से केवल एक सदस्य ही योजना का लाभ ले सकता है (परिवार में पति, पत्नी और अविवाहित बच्चे शामिल हैं).  
  • पिछली योजनाओं का लाभ: आवेदक ने पिछले 5 वर्षों में केंद्र या राज्य सरकार की समान ऋण-आधारित योजनाओं (जैसे PMEGP, PM SVANidhi, Mudra) के तहत ऋण का लाभ न लिया हो. हालांकि, यदि Mudra या PM SVANidhi के तहत लिया गया ऋण पूरी तरह चुका दिया गया है, तो वे पात्र होंगे.  

पीएम विश्वकर्मा योजना के मुख्य लाभ क्या हैं?

यह योजना कारीगरों को कई महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है:

  • मान्यता: पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड प्रदान किया जाएगा.  
  • कौशल उन्नयन: 5-7 दिनों का बेसिक प्रशिक्षण और इच्छुक उम्मीदवारों के लिए 15 दिनों का एडवांस प्रशिक्षण दिया जाएगा. प्रशिक्षण के दौरान ₹500 प्रतिदिन का स्टाइपेंड मिलेगा.  
  • टूलकिट प्रोत्साहन: बेसिक प्रशिक्षण की शुरुआत में ₹15,000 तक का टूलकिट प्रोत्साहन ई-वाउचर के रूप में मिलेगा.  
  • क्रेडिट सहायता: ₹3 लाख तक का कोलैटरल-फ्री ‘एंटरप्राइज डेवलपमेंट लोन’ दो किश्तों में मिलेगा: पहली ₹1 लाख (18 महीने की चुकौती) और दूसरी ₹2 लाख (30 महीने की चुकौती). ब्याज दर 5% होगी, जिसमें सरकार 8% तक की ब्याज सबवेंशन प्रदान करेगी. ऋण चुकौती शुरू करने से पहले 6 महीने तक की मोरेटोरियम अवधि भी मिलेगी.  
  • डिजिटल लेनदेन प्रोत्साहन: प्रति डिजिटल लेनदेन ₹1 का प्रोत्साहन (प्रति माह अधिकतम 100 लेनदेन तक) मिलेगा.  
  • विपणन सहायता: गुणवत्ता प्रमाणन, ब्रांडिंग, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (जैसे GeM) पर ऑनबोर्डिंग और अन्य विपणन गतिविधियों में सहायता मिलेगी.  
  • MSME इकोसिस्टम में शामिल होना: लाभार्थियों को उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म पर ‘उद्यमी’ के रूप में औपचारिक MSME इकोसिस्टम में शामिल किया जाएगा.  

आवेदन प्रक्रिया और आवश्यक दस्तावेज

आवेदन करने के लिए, कारीगरों को अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर जाना होगा. CSC पर आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से पंजीकरण किया जाएगा. पंजीकरण के बाद, ग्राम पंचायत/ULB, जिला कार्यान्वयन समिति और स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा तीन-स्तरीय सत्यापन होगा.  

आवश्यक दस्तावेजों में आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, बैंक खाता विवरण, राशन कार्ड, पहचान पत्र, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, उद्योग या व्यवसाय प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो) शामिल हैं.

पीएम विश्वकर्मा योजना का महत्व और प्रभाव

यह योजना भारत की पारंपरिक कलाओं और शिल्प को संरक्षित करने, कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान देने और उन्हें घरेलू व वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.  

निष्कर्ष

पीएम विश्वकर्मा योजना पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक व्यापक और परिवर्तनकारी पहल है. यह वित्तीय सहायता के साथ-साथ कौशल विकास, आधुनिक उपकरणों तक पहुंच, डिजिटल साक्षरता और बाजार लिंकेज प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाती है. यह योजना न केवल व्यक्तिगत कारीगरों के जीवन को बेहतर बनाएगी, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित और बढ़ावा देगी.  

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