UP का ग्राम-ऊर्जा मॉडल: अब गांवों की रसोई चमकेगी बायोगैस से!

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने ‘ग्राम-ऊर्जा मॉडल’ की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य गांवों को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना और उनकी रसोई को बायोगैस से रोशन करना है । यह पहल एलपीजी पर निर्भरता कम करने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह मॉडल ग्रामीण परिवारों की दैनिक ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करते हुए उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेगा।  

ग्राम-ऊर्जा मॉडल: गांवों की ऊर्जा आत्मनिर्भरता का आधार

‘ग्राम-ऊर्जा मॉडल’ ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा आत्मनिर्भरता और रोजगार सृजन के लिए शुरू किया गया है, जिसका लक्ष्य घरेलू रसोई एलपीजी की खपत में 70% तक की कमी लाना है । यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वेस्ट टू वेल्थ’ (Waste to Wealth) की परिकल्पना पर आधारित है । इस योजना को मनरेगा से जोड़ा गया है, जिसके तहत व्यक्तिगत गोशालाओं का निर्माण होगा और उनसे प्राप्त गोबर का उपयोग बायोगैस प्लांट में किया जाएगा । बायोगैस उत्पादन के बाद बची हुई बायो-स्लरी को जैविक खाद के रूप में बेचा जा सकेगा, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय होगी । केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने यूपी में जल्द ही 100 नए बायोगैस प्लांट स्थापित करने की घोषणा की है ।  

बायोगैस

बायोगैस का उत्पादन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैविक पदार्थ (जैसे गोबर, कृषि अपशिष्ट, प्रेसमड) के अपघटन से होता है । इस प्रक्रिया में मीथेन-समृद्ध गैस बनती है, और उप-उत्पाद के रूप में उत्कृष्ट जैविक खाद (बायो-स्लरी) प्राप्त होती है । उत्तर प्रदेश में कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) परियोजनाओं की अपार क्षमता है, अनुमानित रूप से 1000 से अधिक प्लांट स्थापित किए जा सकते हैं, जिससे सालाना 1.55 करोड़ मीट्रिक टन सीबीजी उत्पादन संभव है । चंदौली जिले के एकौनी गांव में एक सफल बायोगैस संयंत्र 120 घरों में पाइपलाइन के माध्यम से 24 घंटे रसोई ईंधन की आपूर्ति कर रहा है ।  

मल्टीडायमेंशनल बेनिफिट्स

ग्राम-ऊर्जा मॉडल के कई लाभ हैं:

  • आर्थिक: एलपीजी खपत में 70% तक की कमी , बायो-स्लरी और पराली बेचकर किसानों की आय में वृद्धि , खेती की लागत में कमी , और बायोगैस संयंत्रों की स्थापना व संचालन से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन ।  
  • पर्यावरणीय: पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण और स्मॉग की समस्या का समाधान , मीथेन जैसे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी , और जैविक कचरे का कुशल प्रबंधन ।  
  • सामाजिक एवं स्वास्थ्य: महिलाओं को हानिकारक धुएं और इनडोर वायु प्रदूषण से बचाव , ग्रामीण जीवन स्तर में सुधार , और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना । यह मॉडल संयुक्त राष्ट्र के सभी 17 सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में योगदान देता है ।  

उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति-2022

उत्तर प्रदेश सरकार ने सितंबर 2022 में “उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति-2022” की घोषणा की । यह नीति कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG), बायोडीजल और बायोकोल संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करती है। इसमें निवेशकों के लिए व्यापक प्रोत्साहन शामिल हैं, जैसे:  

  • सब्सिडी: CBG पर ₹75 लाख/टन (अधिकतम ₹20 करोड़), बायोकोल पर ₹75 हजार/टन (अधिकतम ₹20 करोड़), बायोडीजल पर ₹3 लाख/किलोलीटर (अधिकतम ₹20 करोड़) ।  
  • कर छूट: स्टाम्प शुल्क और बिजली शुल्क में 100% की छूट ।  
  • भूमि उपलब्धता: ₹1 प्रति एकड़ वार्षिक टोकन लीज रेट पर 30 वर्ष तक सरकारी भूमि ।  
  • बुनियादी ढांचा सहायता: एप्रोच रोड निर्माण पर सब्सिडी ।  

यूपीनेडा (UPNEDA) इस नीति के तहत नोडल एजेंसी है, जो कृषि अपशिष्ट की आपूर्ति श्रृंखला में समन्वय के लिए एक आईटी आधारित पोर्टल और मोबाइल ऐप विकसित कर रहा है । नीति का लक्ष्य पांच वर्षों में ₹5500 करोड़ का निवेश और बड़े पैमाने पर सीबीजी, बायोकोल व बायोएथेनॉल/बायोडीजल का उत्पादन करना है ।  

चुनौतियां और समाधान की राह

ग्राम-ऊर्जा मॉडल के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे बायो-स्लरी का सीमित उठान, तेल और गैस विपणन कंपनियों द्वारा आंशिक गैस उठाव, कुशल तकनीकी मानव बल की कमी, और फीडस्टॉक की विविधता का अभाव । इन चुनौतियों के समाधान के लिए बायो-स्लरी के लिए बाजार विकसित करना, गैस उठाव की गारंटी देना, कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करना और फीडस्टॉक विविधता को व्यापक बनाना आवश्यक है । नीतिगत समर्थन का निरंतर मूल्यांकन भी महत्वपूर्ण है ।  

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश का ‘ग्राम-ऊर्जा मॉडल’ ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा आत्मनिर्भरता, आर्थिक सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। बायोगैस के उत्पादन और उपयोग से यह मॉडल न केवल स्वच्छ और सस्ती रसोई गैस प्रदान कर रहा है, बल्कि किसानों के लिए आय के नए स्रोत भी खोल रहा है और पराली जलाने जैसी पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान कर रहा है। उत्तर प्रदेश की जैव ऊर्जा नीति-2022 और यूपीनेडा की सक्रिय भूमिका के साथ, राज्य बायोगैस उत्पादन में अपनी अपार क्षमता को साकार करने की राह पर है । यह मॉडल ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करते हुए एक आत्मनिर्भर, स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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